स्ट्रेंथ लिफ्टिंग में रोहन ने जीता गोल्ड, जानें उनके संघर्ष के बारे में

किर्गिस्तान रूस में नाइंथ वर्ल्ड स्ट्रेंथ लिप्टिंग एंड क्लाइन मैच पेस चैंपियनशिप में बिलासपुर के खिलाड़ी ने 105 वेट कैटेगरी के सीनियर ग्रुप में स्ट्रेंथ लिफ्टिंग में कुल 407.5 किलोग्राम का भार उठाकर कांस्य पदक एवं ईक्लाइन बेंच प्रेस में कुल 175 किलोग्राम का भार उठाकर कांस्य पदक प्राप्त कर भारत देश का मान सम्मान बढ़ाया है।

इंटरनेशनल पावर-लिफ्टिंग चैंपियनशिप में भारतीय टीम ने ओवरऑल चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम कर लिया है। 10 मार्च तक युक्रेन में आयोजित टूर्नामेंट में इंडिया से 20 खिलाड़ियों का चयन किया गया था। जिसमें छत्तीसगढ़ से छह खिलाड़ी शामिल हैं। शनिवार को हुए मुकाबले में छत्तीसगढ़ के रोहन शाह ने टीम इंडिया के लिए खेलते 90 किग्रा वजन वर्ग में खेलते हुए बेंच प्रेस और डेड लिफ्ट में गोल्ड मेडल जीता। इसके अलावा ब्लेसन बॉस्को ने 85 किग्रा वजन वर्ग में गोल्ड अपने नाम किया।

जिस मौके का वो इंतजार करते थे वो मोका उन्हें मिला 2020 में जो उनके लिए सबसे बड़ा अवसर था। उन्होने राष्ट्र की ओर से प्रतिनिधित्व किया । उन्होंने हाल ही में नेपाल में आयोजित अंतरराष्ट्रीय स्ट्रेंथ लिफ्टिंग और इनक्लाइन बेंच प्रेस चैम्पियनशिप 2023 में स्वर्ण पदक जीता है।

कैसे आए इस खेल में और कैसे अपने आपको इस लायक बनाया ?

रोहन के पिता राजेश रेलवे से बैडमिंटन में रह चुके हैं। रोहन अपने माता पिता और कोच की बहोत इज्जत करता है इसी लिए अपनी जीत का श्रेय अपने माता पिता और कोच उत्तम कुमार साहू को ही देता है। उत्तम कुमार साहू पिछले 17 सालों से फिटनेस इंडस्ट्री में लगातार अपना योगदान अलग अलग खेलों के माध्यम से देते आ रहे हैं। वह स्वयं नावरलिफ्टिंग में अंतरराष्ट्रीय गोल्ड मेडलिस्ट खिलाड़ी रह चुके हैं।

इन की भी कहानी एक सामान्य इंसान की तरह शुरू होती हैं। जैसे सब रोज जीम जाते हैं वैसे वे भी रोज सुबह जीम जाते थे। एक अच्छी बॉडी और स्वस्थ जीवन शैली के बनाए रखने के लिए उत्सुक थे। लेकिन समय के साथ अन्य खिलानियो को लिफ्ट करते हुए जब रोहन ने देखा तो उनको भी दिलचस्पी बढ़ती गई। और एक दिन उनके कोच ने उनसे पूछा क्या तुम खेलना चाहते हो तब वो बहुत खुश हो गया।
और 2019 में जिला स्तर पर उनकी कहानी शुरू हुई
जिले के बाद राज्य लेवल पर खेल में की कोशिश की और वहां भी सब कुछ अच्छा रहा। फिर वह कभी वापस मुड़ के नही देखा। फिर नेशनल के लिए खेल की चाह ने दिन रात मेहनत करना शुरू कर दिया और उनकी मेहनत रंग लाई और उनको नेशनल में भी खेलने का मोका मिला।

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